कुछ वर्षों पहले मेरे साथ कार्य करने वाला मेरा एक सहयोगी, जीत, मेरी मेज के पास धुमता हुआ आया। जीत समझदार और शिक्षित था – और निश्चित रूप से सुसमाचार का अनुयायी नहीं था। परन्तु वह कुछ सीमा तक जिज्ञासु था, इसलिए हमारे मध्य में कुछ गरमाहट भरा हुआ और खुला वार्तालाप हुआ। उसने बाइबल को कभी नहीं पढ़ा था, इसलिए मैंने उसे और अधिक खोजबीन करने के लिए प्रोत्साहित किया।
एक दिन वह मेरे कार्यालय में बाइबल के साथ मुझे यह दिखाने के लिए आया कि वह इसे पढ़ रहा था। उसने इसे बीच में ऐसे ही कहीं से खोल लिया। मैंने उससे पूछा कि वह क्या पढ़ रहा था। हमारा वार्तालाप कुछ इस तरह का था।
“मैं भजन संहिता 22 को पढ़ रहा हूँ“ उसने कहा
“सच में,” मैंने कहा। “जो कुछ तुम पढ़ रहे हो उसके बारे में क्या विचार है?”
“मुझे लगता है कि मैं यीशु के क्रूसीकरण के बारे में पढ़ रहा हूँ,” जीत ने उत्तर दिया।
“यह तो अच्छा अनुमान है”, मैं हँसा। “परन्तु तुम इस घटना से एक हज़ार वर्ष पहले का अध्ययन कर रहे हो। भजन संहिता 22 दाऊद के द्वारा लगभग 1000 ईसा पूर्व में लिखा गया था। यीशु का क्रूसीकरण 30 ईस्वी सन् में घटित हुआ। एक हज़ार वर्षों के पश्चात्।”
जीत को यह पता ही नहीं चला कि भजन संहिता उनके समकालीन लोगों द्वारा लिखा गया यीशु के जीवन का सुसमाचार वृतान्त नहीं था। भजन संहिता यीशु के बारे में 1000 वर्षों पहले ऋषियों द्वारा प्रेरित एक पवित्र इब्रानी भजन था। जीत ने तो केवल यीशु के बारे में कुछ कहानियों को ही सुना था, जिसमें उसका क्रूसीकरण, और अंधाधुंध तरीके से अपनी बाइबल खोलना, पढ़ना इत्यादि सम्मिलित था, जो क्रूसीकरण के वर्णन का आभास देती थीं। इससे अच्छे तरीके को न जानते हुए, उसने यह अनुमान लगा लिया कि यही क्रूसीकरण की कथा थी, जिसे प्रति वर्ष गुड फ्राइडे अर्थात् शुभ शुक्रवार कहा जाता है, के दिन स्मरण किया जाता है। बाइबल पढ़न के प्रति लिए गए उसके पहले गलत-कदम के ऊपर हम मुँह दबाकर हंसे थे।
संहिता 22 में क्या देखा, जिसके कारण वह सोचा पाया कि वह यीशु के क्रूसीकरण के बारे में पढ़ रहा था। इस तरह हमारा एक छोटा अध्ययन आरम्भ हुआ। मैं आपको कुछ समानताओं के ऊपर विचार करने के लिए आमन्त्रित करता हूँ, जो एक तालिका में एक-दूसरे-के सामने रखी गई हैं। हमारी सहायता के लिए रंगों के द्वारा समान पाठों को आपस में मिलान किया गया है।
भजन संहिता 22 में पाए जाने वाले क्रूसीकरण के विवरण का
सुसमाचार में दिए हुए विवरण के साथ तुलना
सुसमाचार के आँखों-देखे गवाहों के द्वारा क्रूसीकरण के विवरण | भजन संहिता 22: 1000 ईसा पूर्व |
(मत्ती 27:31-48) .. तब वे उसे (यीशु) क्रूस पर चढ़ाने के लिए लिये ले चले….39 आने-जाने वाले सिर हिला-हिलाकर उसकी निन्दा करते थे 40 और यह कहते थे, “…अपने आप को तो बचा! यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो क्रूस पर से उतर आ! 41 इसी रीति से प्रधान याजक भी शास्त्रियों और पुरनियों समेत ठट्ठा कर करके कहते थे, 42 “इसने औरों को बचाया, और अपने आप को नहीं बचा सकता। यह तो ‘इस्राएल का राजा’ है! अब क्रूस पर से उतर आए तो हम उस पर विश्वास करें। 43 उसने परमेश्वर पर भरोसा रखा है; यदि वह उस को चाहता है, तो अब इसे छुड़ा ले….तीसरे पहर के निकट .यीशु ने बड़े शब्द से पुकारकर कहा….”हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?”…48 उनमें से एक तुरन्त दौड़ा और स्पंज लेकर सिरके में डुबोया, और सरकण्डे पर रखकर उसे चुसाया। (मरकुस 15:16-20)16 सैनिक उसे किले के भीतर के आँगन में ले गए…उन्होंने उसे बैंजनी वस्त्र पहिनाया और काँटों का मुकुट गूँथकर उसके सिर पर रखा. 18 और यह कहकर उसे नमस्कार करने लगे, “हे यहूदियों के राजा, नमस्कार!” 19 वे उसके सिर पर सरकण्डे मारते, और उस पर थूकते और घुटने टेककर उसे प्रणाम करते रहे। 20 जब वे उसका ठट्ठा कर चुके, तो उस पर से बैंजनी वस्त्र उतारकर उसी के कपड़े पहिनाए, और तब उसे क्रूस पर चढ़ाने के लिये बाहर ले गए….37 तब यीशु ने बड़े शब्द से चिल्लाकर प्राण छोड़ दिए। (यूहन्ना 19:34) उन्होंने उसकी टाँगे न तोड़ी…., यीशु को एक बरछे से उसके पंजर में बेधा, और उसमें से तुरन्त लहू और पानी निकला…उन्होंने उसे क्रूस पर चढ़ा दिया…(यूहन्ना 20:25) [थोमा] जब तक मैं उसके हाथों में कीलों के छेद न देख लूँ….”…(यूहन्ना 19:23-24) जब सैनिक यीशु को क्रूस पर चढ़ा चुके, तो उसके कपड़े चार भाग किए, हर सैनिक के लिए एक भाग और कुरता भी लिया….इसलिए उन्होंने आपस में कहा, “हम इसको न फाड़ें, परन्तु इस पर चिट्ठी डालें कि यह किसका होगा”… | 1 हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया? तू मेरी पुकार से और मेरी सहायता करने से क्यों दूर रहता है? मेरा उद्धार कहाँ है? 2 हे मेरे परमेश्वर, मैं दिन को पुकारता हूँ परन्तु तू उत्तर नहीं देता; और रात को भी मैं चुप नहीं रहता… 7 वह सब जो मुझे देखते हैं मेरा ठट्ठा करते हैं, और ओंठ बिचकाते और यह कहते हुए सिर हिलाते हैं, 8 “कि अपने को यहोवा के वश में कर दे वही उसको छुड़ाए,“ वह उसको उबारे क्योंकि “वह उससे प्रसन्न है।” 9 परन्तु तू ही ने मुझे गर्भ से निकाला; जब मैं दूध-पीता बच्चा था, तब ही से तूने मुझे भरोसा रखना सिखलाया। 10 मैं जन्मते ही तुझी पर छोड़ दिया गया, माता के गर्भ ही से तू मेरा ईश्वर है।11 मुझ से दूर न हो क्योंकि संकट निकट है, और कोई सहायक नहीं। 12 बहुत से साँड़ों ने मुझे घेर लिया है, बाशान के बलवन्त साँड़ मेरे चारों ओर मुझे घेरे हुए हैं। 13 वे फाड़ने और गरजने वाले सिंह की समान मुझ पर अपना मुँह पसारे हुए है। 14 मैं जल के समान बह गया, और मेरी सब हड्डियों के जोड़ उखड़ गए: मेरा हृदय मोम हो गया, वह मेरी देह के भीतर पिघल गया। 15 मेरा बल टूट गया, मैं ठीकरा हो गया; और मेरी जीभ मेरे तालू से चिपक गई; और तू मुझे मारकर मिट्टी में मिला देता है। 16 क्योंकि कुत्तों ने मुझे घेर लिया है; कुकर्मियों की मण्डली मेरी चारों ओर मुझे घेरे हुए है; वे मेरे हाथ और मेरे पैर छेदते हैं। 17 मैं अपनी सब हड्डियाँ गिन सकता हूँ; वे मुझे देखते और निहारते हैं; 18 वे मेरे वस्त्र आपस में बाँटते हैं, और मेरे पहिरावे पर चिट्ठी डालते हैं। |
इससे जीत ने तार्किक परन्तु गलत निष्कर्ष निकाला कि भजन संहिता 22 गुड फ्राइडे के क्रूसीकरण का आखों-देखे हुए गवाहों का वृतान्त था, यहाँ हमें एक प्रश्न पूछना चाहिए।
हम कैसे भजन संहिता 22 और क्रूसीकरण के मध्य में पाई जाने वाली समानाताओं की व्याख्या कर सकते हैं?
क्या यह संयोग है कि यह विवरण इतने अधिक सटीकता के साथ एक दूसरे के सदृश हैं कि कपड़ों को बाँटा जाएगा (बिन सीअन ऊपर से नीचे तक बुना हुआ कपड़ा लोगों के मध्य में बाँटा और सैनिकों के मध्य में विभाजित किया गया था) और चिट्ठी का डाला जाना (इसलिए कि बिन सीअन का वस्त्र खराब न हो इन्होंने इसके लिए चिट्ठी डाली गई)। भजन संहिता 22 क्रूसीकरण की घटना के घटित होने से पहले लिखा गया था, परन्तु तथापि यह इसके विभिन्न विवरणों का वर्णन करता है (हाथों और पैरों को छेदना, हड्डियों के जोड़ों का उखड़ जाना – शिकार के रूप में उसे टांग दिया जाना)। इसके अतिरिक्त, यूहन्ना के सुसमाचार में कहा गया है कि जब यीशु के पंजर में बरछा मारा गया था, तब लहू और पानी बह निकला था, जो यह संकेत देता है कि उसके हृदय के चारों ओर तरल पदार्थ एकत्र हो गया था। यीशु इस कारण हृदय घात अर्थात् दिल के दौरे को पड़ने से मर गया था। यह भजन संहिता 22 में दिए हुए ‘मेरा हृदय मोम हो गया’ के वर्णन के साथ मेल खाता है।
भजन संहिता 22 ऐसे लिखा गया था मानो कि यीशु के क्रूसीकरण को देखा गया था। परन्तु यह कैसे हो सकता है, क्योंकि इसे तो 1000 वर्षों पहले ही लिख दिया गया था?
भजन संहिता 22 के लिए परमेश्वर -प्रेरित स्पष्टीकरण
सुसमाचार में यीशु ने तर्क दिया कि ये समानताएँ स्वयं में भविष्यवाणी थीं। ईश्वर ने यीशु के जीवन और मृत्यु के विवरण की भविष्यद्वाणी के लिए यीशु के जीवन से सैकड़ों वर्षों पहले ही पुराने नियम के भविष्यद्वक्ताओं को प्रेरित किया था ताकि हम जान सकें कि यह सब परमेश्वर की योजना में था। भविष्यद्वाणी का पूरा होना गुड फ्राइडे की इन घटनाओं पर एक ईश्वरीय हस्ताक्षर होने की तरह होगा क्योंकि कोई भी मानव इस तरह के विवरण के साथ भविष्य की भविष्यद्वाणी को नहीं कर सकता है। यह इतिहास में परमेश्वर के कार्य और हस्तक्षेप का प्रमाण है।
भजन संहिता 22 के लिए स्वाभाविक स्पष्टीकरण
अन्य लोग तर्क देते हैं कि गुड फ्राइडे के क्रूसीकरण की घटनाओं के साथ भजन संहिता 22 की समानता इसलिए है, क्योंकि सुसमाचार के लेखकों ने भविष्यद्वाणी के ‘अनुरूप‘ घटनाओं के घटित होने को लिखा। परन्तु यह स्पष्टीकरण पूरी तरह से बाइबल के बाहर के इतिहासकारों की गवाही को अनदेखा करता है। जोसीफुस और टैक्टुस क्रमशः हमें बताते हैं कि:
“इस समय एक बुद्धिमान व्यक्ति था … यीशु … अच्छा, और … गुणी। और यहूदियों और अन्य जातियों में से कई लोग उसके शिष्य बन गए। पिलातुस ने उसे क्रूस पर चढ़ाये और मार दिए जाने का दण्ड दिया। “(जोसीफुस. 90 ईस्वी सन. प्राचीन इतिहास. खण्ड -18, भाग -13. जोसीफुस एक यहूदी इतिहासकार था)
“ख्रिस्तुस, संस्थापक का नाम था, जिसे तीबुरियुस के शासनकाल में यहूदिया के राज्यपाल पेन्तुस पिलातुस ने मार डाला था “(टैक्टुस. 117 ईस्वी सन्. वर्षक्रमिक इतिहास, खण्ड – 15, भाग – 44. टैक्टुस रोमी इतिहासकार था)
उनकी ऐतिहासिक गवाही सुसमाचारों से सहमत होती है कि यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया था। यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि भजन संहिता 22 में से कई विवरण केवल क्रूस पर चढ़ाए जाने के कार्य के विवरण हैं। यदि सुसमाचार के लेखक वास्तविक घटनाओं को उनके भजन संहिता 22 के ‘अनुरूप‘ बनाने के लिए लिख रखे थे, तब तो उन्हें मूल रूप से पूरी की पूरी क्रूसीकरण की घटना को निर्मित करना पड़ता। तौभी उस समय में किसी ने भी अपने क्रूसीकरण का इन्कार नहीं किया है, और यहूदी इतिहासकार जोसीफुस स्पष्ट रूप से कहता है कि क्रूसीकरण की घटना इसी तरह से घटित हुई थी।
भजन संहिता 22 और यीशु की विरासत
इसके साथ ही, भजन संहिता 22 उपरोक्त तालिका में दिए हुए वचन 18 पर ही समाप्त नहीं होता है। यह चलती रहती है। अन्त में दिए हुए – एक व्यक्ति के मर चुकने के पश्चात् के विजयी पड़ाव पर ध्यान दें!
26 नम्र लोग भोजन करके तृप्त होंगे; जो यहोवा के खोजी हैं, वे उसकी स्तुति करेंगे – तुम्हारे प्राण सर्वदा जीवित रहें!
27 पृथ्वी के सब दूर-दूर देशों के लोग उसको स्मरण करेंगे और उसकी ओर फिरेंगे; और जाति जाति के सब कुल तेरे सामने दण्डवत करेंगे।
28 क्योंकि राज्य यहोवा ही का है, और सब जातियों पर वही प्रभुता करता है।
29 पृथ्वी के सब हृष्टपुष्ट लोग भोजन करके दण्डवत करेंगे; वे सब जितने मिट्टी में मिल जाते हैं और अपना अपना प्राण नहीं बचा सकते – वे सब उसी के सामने घुटने टेकेंगे।
30 एक वंश उसकी सेवा करेगा; दूसरी पीढ़ी से प्रभु का वर्णन किया जाएगा।
31 वे आएँगे और उसके धर्म के कामों की एक वंश पर जो उत्पन्न होगा – यह कहकर प्रगट करेंगे कि उसने ऐसे ऐसे अद्भुत काम किए (भजन संहिता 22:26-31)
यह इस व्यक्ति की मृत्यु की घटनाओं के विवरण के बारे में बात नहीं कर रहा है। उन विवरणों को भजन संहिता के आरम्भ में अध्ययन कर लिया गया है। भजनकार अब उस व्यक्ति की मृत्यु की विरासत में आने वाली ‘सन्तान‘ और ‘भविष्य की पीढ़ियों‘ (वचन 30) को सम्बोधित कर रहा है।
यह कौन होगा?
यीशु के क्रूस पर चढ़ाए जाने के 2000 वर्षों पश्चात् हम जीवित हैं। भजनकार हमें बताता है कि वंश या ‘सन्तान‘ जो इस ‘छिदे हुए‘ व्यक्ति का अनुसरण करती है, जिसने इस तरह की एक भयानक मृत्यु को प्राप्त किया, उसकी ‘सेवा‘ करेगी और ‘उसके बारे में बताएगी‘। वचन 27 इस प्रभाव की भौगोलिक सीमा की भविष्यद्वाणी करता है – ‘पृथ्वी के सब दूर-दूर के देश‘ और ‘जाति-जाति के सब कुल‘ उन्हें ‘यहोवा की ओर मुड़ने‘ के लिए प्रेरित करते हैं। वचन 29 भविष्यद्वाणी करता है कि ‘जो अपना प्राण नहीं बचा सकते हैं‘ (क्योंकि हम मरणशील प्राणी हैं, जिसका अर्थ हम सभी से है) एक दिन उसके सामने घुटने टेकेंगे। इस व्यक्ति की धार्मिकता उन लोगों के लिए घोषित की जाएगी जो उनकी मृत्यु के समय जीवित नहीं थे (‘जिनका अभी जन्म नहीं हुआ है‘)।
भजन संहिता 22 के निष्कर्ष के साथ इसका कोई लेना-देना नहीं है कि सुसमाचार के वृतान्त ने इससे उधार लिया गया है या क्रूस पर चढ़ाए जाने की घटनाओं को निर्मित किया गया है, क्योंकि यह अब बहुत बाद में आने वाले युग के साथ कार्य कर रहा है – अर्थात् हमारे समय के साथ। पहली शताब्दी में रहने वाले सुसमाचार लेखक यीशु की मृत्यु के समय को हमारे समय तक के लिए प्रभावित नहीं ‘कर सकते’ हैं। उन्हें नहीं पता था कि इसका क्या प्रभाव क्या होगा।
एक व्यक्ति भजन संहिता 22 की तुलना में यीशु की विरासत की इससे अच्छी भविष्यद्वाणी नहीं कर सकता है। यहाँ तक कि वार्षिक विश्वव्यापी गुड फ्राइडे समारोहों को ध्यान में रखते हुए भी उनकी मृत्यु के दो हजार वर्षों के पश्चात् भी उसके वैश्विक प्रभाव का स्मरण आता है। यह भजन संहिता 22 के निष्कर्ष को पूरा करते हैं, ठीक उतना ही सटीकता के साथ जितना कि उसकी मृत्यु के विवरण के लिए आरम्भिक भविष्यद्वाणी में कहा गया था।
विश्व के इतिहास में और कौन ऐसा दावा कर सकता है कि उसकी मृत्यु के विवरण के साथ-साथ दूर के भविष्य में उसके जीवन की विरासत की 1000 वर्षों पहले भविष्यद्वाणी कर दी जाएगी?
कदाचित्, मेरे दोस्त जीत की तरह ही, आप भी यीशु के क्रूस पर चढ़ाए जाने को भजन संहिता 22 के प्रकाश में देखने पर विचार करेंगे। इसके लिए कुछ मानसिक प्रयास को करना होगा। परन्तु यह सार्थक है, क्योंकि जिस व्यक्ति की बात भजन संहिता 22 में की गई है, वह पहले से देखी गई प्रतिज्ञा थी:
मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएँ, और बहुतायत से पाएँ (यूहन्ना 10:10)
गुड फ्राइडे के लिए सम्पूर्ण सुसमाचार वृतान्त यहाँ पर दिया गया है, जिसे भजन संहिता 22 ने पहले से ही देख लिया था और यहाँ पर आपके लिए इस उपहार की व्याख्या की गई है।