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Ragnar

पुरूषा का बलिदान: सभी वस्तुओं की उत्पत्ति

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श्लोक 3 और 4 के पश्चात् पुरूषासूक्ता अपने घ्यान को पुरूषा के गुणों की ओर से पुरूषा के बलिदान के ऊपर केन्द्रित करता है। श्लोक… और पढ़ें »पुरूषा का बलिदान: सभी वस्तुओं की उत्पत्ति

श्लोक 3 एवं 4 – पुरूषा का देहधारण

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पुरूषासूक्ता श्लोक 2 से आगे निम्न बातों के साथ जारी रहता है। (संस्कृति का भाषान्तरण और पुरूषा के ऊपर मेरे बहुत से विचार जोसफ़ पदनीज़ेरकारा… और पढ़ें »श्लोक 3 एवं 4 – पुरूषा का देहधारण

श्लोक 2- पुरूषा अमरत्व का प्रभु है

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हमने पुरूषासूक्ता के प्रथम श्लोक में देखा कि पुरूषा का विवरण अच्छी तरह से सर्व-ज्ञानी, सर्व-सामर्थी और सर्व-व्यापी के रूप में वर्णित किया गया था।… और पढ़ें »श्लोक 2- पुरूषा अमरत्व का प्रभु है

पुरूषासूक्ता पर ध्यान देना – पूरूषा की स्तुति का भजन

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कदाचित् ऋग्वेद की सबसे प्रसिद्ध कविता या प्रार्थना पुरूषासूक्ता (पुरूषा सुक्तम्) है। यह 90वें अध्याय और 10वें मंडल में पाई जाती है। यह एक विशेष… और पढ़ें »पुरूषासूक्ता पर ध्यान देना – पूरूषा की स्तुति का भजन

यीशु के बलिदान से कैसे शुद्धता के वरदान को प्राप्त किया जा सकता है?

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यीशु सभी लोगों के लिए स्वयं का बलिदान देने के लिए आया । यही सन्देश प्राचीन ऋग्वेद के भजनों में प्रतिछाया स्वरूप और साथ ही… और पढ़ें »यीशु के बलिदान से कैसे शुद्धता के वरदान को प्राप्त किया जा सकता है?

कुम्भ मेला महोत्सव: पाप का बुरा समाचार और हमारी शुद्धता की आवश्यकता को दिखा रहा है

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मानवीय इतिहास में जनसमूह का एक सबसे बड़ा रूप में इकट्ठा होना इस वर्ष 2013 में घटित हुआ– कुम्भ मेले का त्योहार 12 वर्षों में… और पढ़ें »कुम्भ मेला महोत्सव: पाप का बुरा समाचार और हमारी शुद्धता की आवश्यकता को दिखा रहा है