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परमेश्‍वर के स्वरूप में

हमने पहले ही देख लिया है कि कैसे पुरूषासूक्ता का आरम्भ समय के आरम्भ होने से पहले होता है और यह कैसे परमेश्‍वर की मनसा (प्रजापति) को पुरूषा के बलिदान करने के निर्णय का वर्णन… परमेश्‍वर के स्वरूप में

पुरूषा का बलिदान: सभी वस्तुओं की उत्पत्ति

श्लोक 3 और 4 के पश्चात् पुरूषासूक्ता अपने घ्यान को पुरूषा के गुणों की ओर से पुरूषा के बलिदान के ऊपर केन्द्रित करता है। श्लोक 6 और 7 इस पर अपने ध्यान को इस तरीके… पुरूषा का बलिदान: सभी वस्तुओं की उत्पत्ति

श्लोक 3 एवं 4 – पुरूषा का देहधारण

पुरूषासूक्ता श्लोक 2 से आगे निम्न बातों के साथ जारी रहता है। (संस्कृति का भाषान्तरण और पुरूषा के ऊपर मेरे बहुत से विचार जोसफ़ पदनीज़ेरकारा द्वारा रचित पुस्तक प्राचीन वेदों में मसीह (346 पृष्ठों की,… श्लोक 3 एवं 4 – पुरूषा का देहधारण

श्लोक 2- पुरूषा अमरत्व का प्रभु है

हमने पुरूषासूक्ता के प्रथम श्लोक में देखा कि पुरूषा का विवरण अच्छी तरह से सर्व-ज्ञानी, सर्व-सामर्थी और सर्व-व्यापी के रूप में वर्णित किया गया था। तब हमने यह प्रश्न पूछा था कि क्या यह पुरूषा… श्लोक 2- पुरूषा अमरत्व का प्रभु है

पुरूषासूक्ता पर ध्यान देना – पूरूषा की स्तुति का भजन

कदाचित् ऋग्वेद की सबसे प्रसिद्ध कविता या प्रार्थना पुरूषासूक्ता (पुरूषा सुक्तम्) है। यह 90वें अध्याय और 10वें मंडल में पाई जाती है। यह एक विशेष व्यक्ति –पुरूष: (जिसे पुरूषा के नाम से पुकारा जाता है)… पुरूषासूक्ता पर ध्यान देना – पूरूषा की स्तुति का भजन

मोक्ष – कर्मों से स्वतंत्रता को प्राप्त करना

कर्म, गुरत्वाकर्षण की तरह ही, एक ऐसी व्यवस्था है जो कि आपके और मेरे ऊपर कार्यरत् है। कर्म का अर्थ बहुत सी बातें हो सकती हैं, परन्तु इसका मौलिक विचार हमारे द्वारा किए हुए कामों… मोक्ष – कर्मों से स्वतंत्रता को प्राप्त करना

बलिदान की विश्वव्यापी आवश्यकता

ऋषि और मुनिगण युगों से जानते थे कि लोग छल अर्थात् माया और पाप में जीवन व्यतीत करेंगे। यह सभी धर्मों, युगों के लोगों और शैक्षणिक योग्यताओं के स्तर पर एक सहज ज्ञान की जागरूकता… बलिदान की विश्वव्यापी आवश्यकता

कुम्भ मेला महोत्सव: पाप का बुरा समाचार और हमारी शुद्धता की आवश्यकता को दिखा रहा है

मानवीय इतिहास में जनसमूह का एक सबसे बड़ा रूप में इकट्ठा होना इस वर्ष 2013 में घटित हुआ– कुम्भ मेले का त्योहार 12 वर्षों में केवल एक ही बार मनाया जाता है। चौंका देने वाली… कुम्भ मेला महोत्सव: पाप का बुरा समाचार और हमारी शुद्धता की आवश्यकता को दिखा रहा है